Friday 5 June 2015

"खतरे में मैग्गी का भविष्य

लगता है ,मैग्गी का विकल्प कोई ढूंढ चूका है । इसलिए कई सालो से घर की शान और छोटे बड़े सभी उम्र के बच्चों की पहली पसंद मैग्गी की बिक्री पर अचानक ही पाबन्दी लगाई जा रही है।
आज जो लोग मैग्गी में हज़ारो कमिया निकाल रहे है, इतनें साल क्यों गहरी नींद में सोए हुए थे ?
अगर नेस्ले कंपनी दोषी है ,तो उस टाइम से आजतक इसके सैंपल को जांच करने वाले अफसर ,इसका विज्ञापन करने लोग और बाजार के हर दुकान तक पहुचाने वाले भी उतने ही दोषी है। 
टीवी पर दिखाने वाले विज्ञापन भी दोषी है ,कल तक जो चीज लोगों की पसंद थी ,आज अचानक नापसंद हो गयी है। 
अगर रोक लगाना है ,तो फास्टफूड पर भी रोक लगे चिप्स ,बर्गर, पेप्सी चॉक्लेट पर भी रोक हो ।
गली मोहल्ले और चोक चौराहो पर बिकने वाले चाट पकोडो पर भी रोक लगे।
आजतक नेस्ले कंपनी मैग्गी से इतना बड़ा कारोबार कर चुकी समझ से पड़े तो यह है ,की अचानक से मैग्गी पर क्यों रोक लगाई जा रही है। 
हर प्रदेश के टेस्ट में मैग्गी फ़ैल हो रही है ,इतने सालो तक क्यों नहीं इसका टेस्ट हुआ। कई बरसो से मैग्गी पर रोक क्यों नहीं लगी।
अगर दोषी है, तो सज़ा बराबर सबको मिलनी चाहिए ।
कही ऐसा तो नहीं नेस्ले कंपनी और मैग्गी भी किसी राजनीती का शिकार  हो रही है,जो भी हो दोषी को सज़ा मिलनी ही चाहिए। 
साथ ही आगे से इस तरह की कोई चीज जो नुकसानदायक है ,उसे बाजार में लाने से पहले उसका अच्छे से निरिक्षण हो ,और सभी टेस्ट पहले से हो तभी उसका कारोबार बढ़े।
अन्यथा बाजार में लाना ही नहीं चाहिए,मैग्गी के भविष्य का क्या होता है,इसका इंतज़ार है। 
साथ ही उसका विकल्प क्या और कब आता है ,इसका भी इंतज़ार रहेगा। 

सुगंधा झा